Wednesday 21 July 2021

CAPITALIST NATURE & THE CAPITALIST CLOUD

CAPITALIST NATURE & THE CAPITALIST CLOUD There exist three classes in the society. They all react differently to the clouds. When it was hot and sun was sharp, Poor worked under sun, sweating as if he bathed. He sometime drank water, to pour fuel to the stove, he burnt in his abdomen. God cursed him with poverty, and he slept beneath the sky. As if sky is his roof stitched with the stars. We adore sun as God, He punishes the poor, and burns his skin. For rich he arranged sun bath. But when the cloud roared, and it was about to rain. Poor got scared, increased was his pain. His roof is made of bushes, his walls are made of soil. And if it rained heavily, his house is bound to die. There exists another class. Went to the office, in the overloaded bus. Worked till evening, in the break had lunch. He works under roof, and has an umbrella which makes him waterproof. He lives in rented flat and sleeps under fan. He feared dengue, so used mosquito repellent. But when the cloud comes, he is happy he has got fun. Temperature will go down, and his fan will beat the Sun. But when he recall he has to return, he curses the rain, disappears the fun. He remembers the way, his mind got load, the marshy way, and the submerged road. And at the last comes the elite class. He wakes up late, when recalls he has a date. The coffee is poured, and the breakfast waits. He goes for shopping in the BMW. And he goes for the date in the Mercedes-Benz. He goes to a five star, when its time for his lunch. He goes for shopping to buy for his date. Late in the evening he goes to the club, have some fun and then goes to the Pub. When the cloud comes and it started to rain, He has nothing to lose and nothing to gain. His driver drives the car, and takes him from the bar. The music is cool and the Ac is full. He goes to his home orders the dinner, watches the TV and acts like a winner. Sleeps in the blanket in winter and in summers. Neither sun heats him nor rain wets him. He enjoys rain and controls temperature. He is a rich man who masters the nature. Author-Aprajeeta Kumari

Tuesday 31 March 2020

ये सपने कौन बनाता है

                                    ये सपने कौन बनाता है        



ये सपने कौन बनाता है, ये सपने कौन बनाता है।
कभी जल में कभी थल में क्षण में नभ में पहुंचाता है।
भूतो  से मिल‌ाता है,परियों से भेट कराता है।
कभी हंसाता है, कभी रुलाता है, कभी सारी रात डराता है।
भविष्य ये दिखाता है, अतीत मे ले जाता है।
नानी और दादी घर की यह फ्री में सैर कराता है।
ये सपने कौन बनाता है, ये सपने कौन बनाता है।।

जिनसे हो गए हैं दूर उन्हें पास कभी ले आता है।
दोस्तों से मिलाता है,कभी दुश्मन से लड़ाता है।  
स्कूल मे ले जाता है,कभी कॉलेज मे घुमाता है।
बीत गए बचपन को वापस ये ले आता है।
ये सपने कौन बनाता है, ये सपने कौन बनाता है।।

कुछ सपनों में अपने हैं, तो कुछ सपने ही अपने हैं।
इन सपनों की जिद में हैं अनसोए से रात कई।
कुछ जागी सी अरमाने है और सोए से हैं ख्वाब कई।
उन ख्वाबों के साए में ये रातों को जगाता है। 
जी तोड़ परिश्रम और लगन नींदों से भी लड़ाता है। 
ये सपने कौन बनाता है, ये सपने कौन बनाता है।।

कर्तव्य पथिक हो नर तुमको, कर्तव्य पथ पर चलना होगा।
जिन सपनों के हो शिल्पकार, उन सपनों को सच करना होगा।
संकल्पित होकर नर, जब-२ जोर लगाता है।
पोरुष के बल से, हर सपने को वह पाता है-२।
ये सपने कौन बनाता है ये सपने कौन बनाता है।।

Saturday 30 December 2017

I want to be a Human Again

  I want to be a Human Again

I was born like a human
I behaved like one
My mind was like a paper
And this world was like a pen
When I was in my childhood
This world was full of fun
Nothing was done intentionally
No motive behind the fun
My friends were innocent
We used to play and run
As I started growing
I started getting worry
Disappeared was the fun
I acted like a hero
My homework was villain
As I grew further what scared was the board
I ran for tution from lanes and through roads
My neighbors were worried when i wrote the board
But I was very lucky somehow survived the board
As I grew further I went to another city
This was a new world where I studied university
I had many friends few girls and many gents
I used to bunk classes I used to go late
I had a girlfriend We used to for date
After I got the degree I prepared for competition
Seats were few and they came with reservation
I was unemployed I faced the breakup
It broke me from inside and what healed was the liquor
I kept on preparing and finally got the job
It was a big city away from my home
People were busy and so was the road
Traffic was hectic and mind was full of load
Cars were racing and so was the life
I lived like a traveler
And they said you need a wife
When someone got accident and he was all alone
Some people were getting beaten and no one to save them on.
I passed from beside was going for my job
I was in a hurry and bothered was my soul
But I didn't stopped & left them all alone
This act was inhumane according to my soul
Those victims were wounded and so was my soul
I want to stop for them and extend the helping hand
I want to heal their wounds and I want to heal my soul
I want to act humanly and I want to feel their pain
I was born like a Human I want to be a Human again.


Tuesday 19 December 2017

आरक्षण

                   आरक्षण

फल भी बांधो जड़ो को भी मजबूत करो अब नेता जी।
राजनीति को आरक्षण से दूर करो अब नेता जी।
आरक्षण को एक पीढ़ी तक सीमित रखो नेता जी।

पिछड़ों में कुछ अगरे है , अगरो में कुछ पिछड़े है।
जो पिछड़ गए उनको खींचों सिर्फ जाति देख कर मत सींचो।
आरक्षण से विसंगतियों को दूर करो अब नेता जी।

जो अनपढ़ है उनको पढ़ाओ साक्षर और जागरूक बनाओ।
रोजगार का जाल फैला कर स्वावलम्बी उनको बनाओ।
संविधान का भेद कराकर , मौलिक कर्तव्यों से मिलाओ।
राज्य नीति निर्धारण में पिछड़ों को प्राधान्य बताओ।
प्रस्तावना का अर्थ बता के अधिकारो से बोध कराओ।
केवल आरक्षण दे कर पल्ला अपना मत झारो अब नेता जी।

पद की गरिमा ,कार्य-प्रकृति और जटिलता का रखो ख्याल।
पर्याप्त प्रशिक्षण, न्यूनतम अंक और दक्षता का हो प्रावधान।
उत्पादकता, गुणवक्ता और कार्य कुशलता मे सुधार रहे।
जन जन उभरे हर मन उभरे और समानता की बयार बहे।
आरक्षण के उद्देश्यों  को पूरा पूरा हासिल  कर लें।
ये भी बढ़ लें वो भी बढ़ लें सब मिलकर हिन्द की जय कर लें।


Tuesday 5 December 2017

                                            भारतीय बैंकों का विलयन- वरदान या अभिशाप

यह तर्क की लकड़ी  की गठरी बंधे होने पर मजबूत हो जाती है और वही लकड़िया अकेले होने पर कमजोर हो जाती है, बैंकों के विलयन के संदर्भ में अधूरा सच साबित हो सकता है।  जिसको पूरा करने के लिए विवाह का उदहारण सर्वथा उपयुक्त होगा।  जैसे विवाह के बाद नयी बहु को नये घर के तौर-तरीके सीखने के साथ-साथ खुद को और अपने  मायके के संस्कारों को भी  साबित करने की चुनौती होती है।  ठीक वैसे ही छोटे विलय होने वाले बैंकों और उनके कर्मचारियों को भी खुद को साबित करना होगा साथ-साथ मुख्य बैंक के काम करने के ढंग भी सीखने होंगे। साथ-साथ अगर नयी बहु यानी की नए बैंक अगर साथ में कोई बीमारी या कमजोरी लाते है तो बड़े बैंकों को अच्छे ससुराल वालों की तरह उनका इलाज भी  करवाना होगा।

बैंकों को विलयन के दौरान एवम बाद में निम्नलिखित चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।

१) बैंकों की संख्या कम होने की दशा में मुख्य प्रबंध निदेशक, कार्यकारी निदेशक एवम  उच्य अधिकारीयों  के पदों में भारी गिरावट तो आएगी ही  साथ ही पदोन्नति के अवसरो में भी भारी गिरावट संभव है। वैसे में छोटे विलय हो रहे बैंकों के कर्मचारियों के हित की रक्षा एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी होगी। साथ ही स्थानांतरण के अवसर, विभिन्न विभागों में तैनाती जैसे विषयों में पक्षपात से बचने की जिम्मेदारी भी बड़े बैंकों की होगी।

२) छोटे बैंकों को नए बैंक के काम करने के तरीके सिखने के अलावा, अपने बैंक के मूल सिद्धांत, उसकी पहचान, टैग-लाइन, यहाँ तक की स्थापना दिवस और उनके संस्थापक के सम्मान की सुरक्षा की जिम्मेदारी तो होगी ही साथ ही अपनी पहचान खोने का डर भी होगा।  ऐसे में बड़े बैंक जिसमे विलय हो रहा है उनकी जिम्मेदारी होगी की जबतक छोटे बैंक बड़े बैंक को हर तरीके से अपना न ले उनसे उनकी पहचान न छीनी जाये।

३) बैंकों के विलयन की स्थिति में शाखाओं, कार्यालयों का बंद होना तय है ऐसी दशा में पुनर्विन्यास, स्वैच्छिक सेवानिवृर्ति योजना, एवम छोटे कामगारों में कटौती बहुत बड़ी चुनौती होगी जिसका कोई हल संभव नहीं दिखता।
४) धोखे और गबन की सम्भावनाओ से भी इंकार नहीं किया जा सकता साथ ही अनुपालन एवम जोखिम प्रबंधन के क्षेत्रों में भी अंतर्राष्ट्रीय मापदंडों को हासिल करना बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।

५) छोटे एवम क्षेत्रीय बैंकों के साथ क्षेत्र आधारित जुड़ाओ होता है, विलय के बाद उस जुड़ाओ को बचाये रखना बड़ी जिम्मेदारी होगी। साथ ही शेयर धारकों, खाता धारकों एवम सभी हित धारकों के हितों की रक्षा की जिम्मेदारी भी रहेगी।

६) तत्कालीन तौर पर काफी सारी सेवाओं के बाधित होने का खतरा तो रहेगा ही साथ ही उन सेवाओं को तुरंत लागु करने की चुनौती भी रहेगी।

बैंकों को विलयन से होने वाले फायदे

१) वित्तीय स्वास्थ्य में सुधार होने से स्वायत्ता बढ़ेगी साथ की उधार देने की क्षमता एवम आधारिक संरचना  का भी विस्तार होगा। साथ ही बेहतर संचालन, उन्नत तकनीक, बेहतर प्रबंधन  एवम बेहतर सेवाओं के साथ बैंकों को वैश्विक स्तर पर नयी पहचान मिलेगी।

२) बैंकों को उच्च मूल्य के ऋणों को सँभालने में आसानी होगी साथ ही ऐसे ऋणों की निगरानी भी आसान होगी।  जोखिम प्रबंधन में विविधता के साथ- साथ गैर निष्पादक आस्थियों का प्रबंधन भी आसान हो जायेगा।

३) गैर निष्पादक आस्थियों/बुरे ऋणों एवँ ऐसे बड़े ऋण खातों में वसूली आसान होगी , क्युकि क्षेत्र आधारित  विलय की स्थिति में  एक ही खाते में एक ही संपत्ति दो या उससे अधिक  बैंकों को बंधक दिए जाने की स्थिति में पहला शुल्क एवम एवं दूसरे शुल्क की परेशानी ख़तम हो जाएगी।  क्युकि ऐसी स्थिति में एक क्षेत्र के सभी या ज्यादातर बैंकों का विलय साथ में हो चूका होगा। साथ ही वसूली पर आने वाले खर्च में भी कमी आएगी।

४) सभी बैंकों का तकनीकी उन्नयन एवं मानव संसाधन के एकीकरण से सेवा में सुधार तय है ही साथ ही खाताधारकों एवं ग्राहकों के लिए सिर्फ कुछ बैंकों के बीच उत्पाद की व्यापक एवं नयी रेंज उपलब्ध होगी।

५) बैंकों के बीच की अनुचित प्रतियोगिता का अंत होगा।  बिना वजह जो बैंको के विस्तार के लिए बैंक के बगल में बैंक खोले गए  थे उनको बंद करके खर्चो पर नियंत्रण होगा साथ ही विलय की दशा में मुख्य प्रबंध निदेशक, कार्यकारी निदेशक एवम  उच्य अधिकारीयों  के पदों में भारी कटौती होगी उससे भी बैंकों के खर्च में काफी कमी आएगी जिसका सही इस्तेमाल हो सकेगा।

६) सरकार और  आर. बी. आई को बैंकों को नियंत्रित एवं निर्देशित करने में आसानी होगी साथ ही उच्य स्तर सेवा एवं आकार में विस्तार के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक भी निजी क्षेत्र के बैंक से कंधे से कन्धा मिला के प्रतिस्पर्धा करेंगे। एवं राष्ट्र के निर्माण में अपना बहुमूल्य योगदान देंगे।

जैसा की हम सभी जानते है की हर परिवर्तन अपने साथ कुछ अच्छे एवं कुछ बुरे परिणाम लाता  है हमें सिर्फ ये देखना होता कि उपरोक्त परिवर्तन का कुल प्रभाव क्या रहेगा।  इस मामले में भी अगर सरकार जल्दबाजी न दिखाय एवं विलयन के सभी परिणामो को देखते हुए उचित समय पर उचित कदम उठाय और बैंकों पर विलयन थोपने की बजाय बैंकों को उनकी  भौगोलिक एवं  वित्तीय सहूलियत के अनुसार विलयन को स्वयं चुनने की आजादी दे तो निश्चित तौर पर विलयन देश की अर्थव्यवस्था को सुद्रढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।


Wednesday 4 May 2016

राष्ट्र नीति तुम्हे गढ़ना होगा


बहुत पूजा है राम को बहुत पढ़ा है कलमा 
अब राष्ट्र भक्ति तुझे करना होगा 
हिमालय पे फिर से चढ़ना होगा 
आजादी के लिए फिर से लड़ना होगा 

शिक्षक तुझे शस्त्र उठाने होंगे 
चाणक्य तुमको बनना होगा 
बहुत हो चुकी राजनीति
अब राष्ट्र नीति तुम्हे गढ़ना होगा 

सेकुलरिज्म का अर्थ बदल राष्ट्र धर्म उसे अब करना होगा 
 एन आइ टी मे  तिरंगा होगा जे न यू को भी सुधरना होगा
बहुत हो चूका तुस्टीकरण राष्ट्रीयकरण अब करना होगा
धर्म जाति का भेद मिटा के भारतीय सभी को बनना होगा 

बहुत खेल चुके बल्ले से अब बंदूकों से लड़ना होगा 
विराट कोहली की जगह हनुमंथप्पा तुझे बनना होगा 
हीरो अपने बदलने होंगे सम्मान फ़ौज का करना होगा 
वीरों की भूमि है ये वीर तुझे अब बनना होगा 

जिसने बेचा  है पठानकोट उन नेताओं से लड़ना होगा 
बहुत हो चूका जाँच का नाटक हमला तुझे अब करना होगा
बाँट दिया था ढाका को अब बलूचिस्तान पे भी  चढ़ना होगा
नापाक इरादो को निस्तेनाबूत तुझे अब करना होगा

नही चलेंगे नेहरू अब पटेल तुमको बनना होगा 
छीन लिया था हैदराबाद अब घाटी अपना करना होगा
३७० का कलंक मिटा के राज तिलक राष्ट्र का करना होगा 
भारत में रहना है तो जय हिन्द सभी को कहना होगा 

मंदिर से केसरिया मस्जिद से हरा लेके तिरंगा तुझे रँगना होगा 
हरा और भगवा छोड़ तुझे तिरंगे के लिए लड़ना होगा 
हिमालय पे फिर से चढ़ना होगा 
आजादी के लिए फिर से लड़ना होगा


                                                                   Author- PARTH SARTHI








Monday 4 January 2016

A PLEDGE FOR EQUALITY FOR WOMEN

              A PLEDGE FOR EQUALITY FOR WOMEN



He is an ordinary man with extra-ordinary thoughts, who pledges to serve a cause, who pledges to get back the honour of our mother land. The honour of being only country in the world where we not only use to respect women rather we adored them as god. In India women remained to be the symbol of wisdom(saraswati), Health(tulsi), wealth(lakshmi), power(durga), Purity(ganga), prosperity(anpoorna), and anger(kali).This is the land where Lord Ram was asked to take part in the sacred hawan with sita else the hawan would have been never complete. A nation where Kunti got the power to invoke five different gods for the birth of her child.
He pedaled more than 27,000 kilometers in 57 months in 19 states- Tamil Nadu, Pondicherry, Kerala, karnataka, Telangana, Andhra Pradesh, Odisha, Bihar, Uttar Pradesh, Madhya Pradesh, Maharashtra,Haryana, Punjab, & Rajyasthan and interacted approximately with 10 lakh people at more than 4000 points in cities, towns, townships & villages through out the country with his simple questions which are difficult to answer. He sketches our attention towards the unequal treatment given to child of two different sex right from the beginning of their childhood. How a girl child is made cultured, modest and civilized in the same family where her brother learns how to disrespect societal norms. She is supposed to remain under the supervision when her brother enjoys independence. She either cannot attend her friends B'day party or has to return before dark unlike her brother. She cannot go to the picnic, late night movie, any project work in the evening, or for roaming around the city which her brother very easily can do. She cannot extend her marriage for making her career whereas her brother can do it. She leaves her family, her surname, her friends in short her identity for her in-laws and in return gets exploitation, cruelty, dowry death and what not. our society bless them with acid attack, rape, eve-tease etc. Who is responsible for this? Some may say it is adoption of western culture, or the patriarchal society or may be lack of stringent law and order. But according to Rakesh Kumar Singh it is the unequal treatment which is responsible for these atrocities. So he strikes on the root of the problem perhaps.


But since last some decades condition of women has degraded drastically. Due to ill effect of our societal structure(patriarchal) and adoption of western culture women have lost their place. on one hand women who are part of glamour world, 90% of them are treated as thing(item number and advertisement), on the other hand they are subject to atrocities in the form of acid attack, rape, voyeurism, stalking, misbehave at work place, cruelty, dowry death and many more. One similar incidence of acid attack shaken Mr Rakesh Kumar Singh to a extend that he decided not only to raise his voice for gender equality but to make a serious effort towards curing this decease of inequality from the entire nation. Rakesh Kumar Singh hails from Bihar(Chapra), worked as media researcher for centre for the study of developing societies for 10 years. His meeting with an acid attack victim changed his life. As he stared his campaign on 15 march 2014 from Chennai in the form of a cycle ride for gender freedom (http://genderfreedom.in/) which continued till 2018.


He asks our society to give equal treatment to both sons and daughters. Make them both cultured, well-behaved, and civilized. Make them both equally independent, independent to choose their career, their life-partner and their way of living. They don't need your supervision all the time rather they need your support. If he succeeds it will not only put an end to the atrocities against women but it will give them opportunity to participate in each domain of openings in the society with their true capacity. Be it as legislator, administrator, social reformer, an artist, a sportsperson, in defense forces etc. And our Nation will lead the whole world in area of gender equality.